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Tuesday, July 5, 2016

रामकोला धाम (कुशीनगर)


श्री केशव मोहन पांडेय जी हिंदी एवं भोजपुरी के एक माने-जाने लेखक हैं। इस धाम के बारे में वे बता रहे हैं-

वाह! अद्भुत है रामकोला का यह धाम

कुशीनगर में एक भव्‍य मंदिर है। इस मंदिर की खासियत है कि यह शिवलिंग का आकार लिए हुए पांच मंजिल ऊंचा बना है। यहां सभी धर्मों के महापुरुषों और देवी-देवताओं की मूर्तियां स्‍थापित है। यह मंदिर अनुसुइया महाराज भगवानानंद स्वामी के सपनों का आध्यात्मिक संगम है। पर्यटक कहते हैं कि यहां आने से उन्‍हें उन्‍हें सुख, शांति और मन को अत्‍यधिक प्रेरणा मिलती है। यहां आने के बाद मन की हर मुराद पूरी होती है। 

मन मोह लेता इस मंदिर का स्‍वरूप। इस मंदिर को देखने के बाद यही लगता है मानो कोई पांच मंजिला ऊंचाई का शिवलिंग खड़ा हो। इसे पांच तल में बांटा गया है। हर तल की अपनी अलग खासियत है। किसी तल में सिर्फ महापुरुषों की प्रतिमाएं तो किसी में देशभक्‍त और महान योद्धा। पांचवें तल को सबसे खास और अहम बनाया गया है। वैसे तो हर तल की अपनी अलग खासियत और एक अद्भुत इतिहास है। 

पहला तल: शिवलिंग के आकार के बने इस मंदिर के प्रथम तल में ज्ञान गुफा है। यहां महान संत स्वामी सत्संगी महाराज लंगड़ा बाबा की मूर्ति स्थापित है। इसके बगल में भगवानानंद महाराज के पूर्व जन्म की अस्थियां भी रखी हैं। 

दूसरा तल: यहां भारतीय संस्कृति के विख्यात संत अत्रि ऋषि की पतिव्रता पत्नी महासती अनुसुइया माता का भव्य मंदिर है। इसके चारों ओर नौ दुर्गा की मूर्तियां हैं। इसमें नारी शक्ति को प्रदर्शित करने वाली भारत की महान नारियों की प्रतिमाएं और उनके उपदेश लिखित हैं। इसमें मुख्‍य रूप से रानी दुर्गावती, लक्ष्मीबाई, जीजाबाई, भगिनि निवेदिता, बसरा की मशहूर तपश्विनी राबिया, इटली की मशहूर सेंट कैथसि और सती सावित्री की मूर्तियां स्थापित हैं।

तीसरा तल: यहां भारत और विश्व के सभी महान संतों स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु, देवर्षि नारद, साईं बाबा, राम कृष्ण परमहंस, महर्षि वेद व्यास, महर्षि बाल्मीकि, गुरु नानक देव, संत ज्ञानेश्वर महाराज और भक्त प्रह्लाद जैसे महान संतों की मूर्तियां स्थापित हैं। 

चतुर्थ तल: यह तल भी महान संतों की मूर्तियों और उनके उपदेशों से सुशोभित है। इसमें संत फ्रांसिस, संत अफलातून (सुकरात), यूनान के ब्रह्मज्ञानी महात्मा डायोजिनिश, संत कंफ्यूशियस, डॉ. मार्टिन लूथर, दाराशिकोह (मुगल बादशाह शाहजहां के बड़े बेटे), फकीर मंसूर अली, हजरत मूसा, सुल्‍तान मुल्लाह साह, फकीर महात्मा शाम्सतखेज की मूर्तियां स्थापित हैं। 

पांचवां तल: इस तल को कैलाशपुरी भी कहते हैं। इसके प्रवेश द्वार पर भारत के दो महान योद्धा और देशभक्त शिवाजी और महाराणा प्रताप की विशाल मूर्तियां स्थापित हैं। मुख्य भाग में जो गुंबद है वहां भगवान शंकर के शोक स्वरूप की मूर्तियां स्थापित हैं। गुंबद के चारों ओर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित किए गए हैं।


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